उत्तर प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा जिला | UP Ka Sabse Bada Jila

UP Ka Sabse Bada Jila :- वर्ष 2021 तक भारत में कुल 28 राज्य और 9 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन में से क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य राजस्थान जिस का कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलो मीटर है और उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य हैं। वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या 23,15,02,578 है जिसमें से 12,10,78,754 जनसंख्या पुरुषों की है और 11,04,23,824 महिलाओं की जनसंख्या है। इस लेख के द्वारा हम जानेंगे की उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला जनसंख्या की दृष्टि से कौन सा है और क्षेत्रफल की दृष्टि से कौन सा सबसे बड़ा जिला है।

उत्तर प्रदेश भारत देश का सबसे घनी आबादी वाला राज्य है, जिसमें क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे धनी आबादी निवास करती है। उत्तर प्रदेश में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 75 जिले हैं। उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी लखीमपुर खीरी है और इस का क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। जिस का कुल क्षेत्रफल 7, 680 वर्ग किलो मीटर है। और हापुड़ जिला उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा जिला है जिसका कुल क्षेत्रफल 660 वर्ग किलोमीटर है।

जनसंख्या की दृष्टि से (UP Ka Sabse Bada Jila)

जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला प्रयागराज है, जिसका नाम कुछ समय पहले ही इलाहाबाद से बदल कर प्रयागराज किया गया है। प्रयागराज की कुल आबादी 69 लाख से अधिक है, और इसका क्षेत्रफल 70 k.m.(square) है।

प्रयागराज जिले के जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला होने का एक कारण यह भी है कि यहां पर गंगा, यमुना और गुप्त सरस्वती तीनों नदियों का संगम स्थान भी है, जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से जाना जाता है। जिस वजह से भारत के कोने कोने से लोग यहां पर आकर बस जाते हैं। प्रयागराज भारत के उन पवित्र शहरों में से एक है जिनमें हिंदू आ कर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
आर्यों कि प्रारंभिक बस्तियां भी प्रयागराज में ही बसी थी।
और ऐसा कहा जाता है कि प्रयाग में प्रवेश मात्र से ही मनुष्यों के समस्त पापों का नाश हो जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़े जिले प्रयागराज के नाम रखने के पीछे हिंदुओं की मान्यता के अनुसार सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने सृष्टि कार्य पूरा करने के बाद प्रथम यज्ञ किया। इस यज्ञ के प्रथम से प्र और यज्ञ याग मिलाकर प्रयाग बना और सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने सबसे पहला यज्ञ जहां किया उसी स्थान का नाम प्रयाग रख दिया गया।

हिंदुओं के भगवान श्री विष्णु जी प्रयागराज के अधिष्ठाता हैं, भगवान इस पावन नगरी में अपने 12 रूपों में विद्यमान हैं जिन्हें द्वादश माधव के नाम से जाना जाता है।

प्रयागराज भारत के उन चार शहरों में सम्मिलित है जहां पर हिंदुओं का सबसे बड़ा मेला या यूं कहें कि सम्मेलन महाकुंभ का आयोजन होता है। हां पर प्रत्येक 12 वर्षों में महाकुंभ का आयोजन होता है और दुनिया भर से लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए आते हैं। उत्तर प्रदेश के जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य प्रयागराज के होने की एक वजह यह भी है।

प्रयागराज का इतिहास (UP Ka Sabse Bada Jila)

5000 ई०पू० :- प्रयाग सोम, प्रजापति तथा वरुण का जन्म स्थान है। वैदिक शास्त्रों तथा बौद्ध शास्त्रों के पौराणिक पात्रों में भी प्रयाग का वर्णन संदर्भ में रहा है। प्रयाग ही महान ऋषि दुर्वासा, ऋषि भारद्वाज तथा ऋषि पन्ना का जन्म स्थली है। लगभग 5000 ई०पू० ऋषि भारद्वाज अपने 10,000 से अधिक शिष्यों के साथ निवास करते थे और उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे।

643 ई०पू० :- वर्तमान में झूंसी जो चंद्रवंशी (चंद्र के वंशज) राजा पुरुरव का राज्य था। जो त्रिवेणी संगम के बहुत करीब है।
643 ई०पू० में चीनी यात्री हुआन त्सांग ने भारत की खोज के दौरान यह पाया कि प्रयाग हिंदुओं का सबसे अधिक पवित्र स्थान है, जहां पर वे निवास करते हैं।

1575 ई० :- मैं मुगल बादशाह अकबर ने प्रयाग के संगम से प्रभावित होकर प्रयाग का नाम बदलकर इलाहाबास (वर्तमान में प्रयागराज) कर दिया जिसका मतलब “अल्लाह का शहर” होता है। इलाहबास लंबे समय तक मुगलों की प्रांतीय राजधानी रही, बाद में जिसे वीर मराठों ने मुगलों से जीत लिया।

1801 ई० :- इलाहबास को अवध के नवाब ने ब्रिटिश शासन को सौंप दिया जिसे उन्होंने अपने सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग किया।

1857 ई० :- इलाहबास अंग्रेजो के खिलाफ भारत की आजादी के युद्ध का केंद्र था और भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन का गढ़ बना।

1858 ई० :- भारत की स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने मिंटो पार्क में आधिकारिक तौर पर भारत को ब्रिटिश सरकार के हाथों सौंप दिया। इसके बाद इलाहबास का नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया गया और इसे आगरा अवध संयुक्त प्रांत की राजधानी बनाया गया।

1868 ई० :– इलाहाबाद में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई जिसके बाद यह न्याय का गढ़ बन गया।

1887 ई० :- इलाहाबाद में कई विक्टोरियन और जॉर्जियाई भवन हैं जो भारतीय स्थापत्य परंपराओं के साथ संश्लेषण कर के बनाए गए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय भारत का चौथा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है।

उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले प्रयागराज में स्वतंत्रता की बहुत सी लड़कियों का केंद्र रहा है यहीं से महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अहिंसक कार्यक्रमों का आयोजन किया।

प्रयागराज जिला ने भारत की स्वतंत्रता के पश्चात सबसे अधिक संख्या में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार दिए हैं,

पंडित जवाहर लाल नेहरू,
लाल बहादुर शास्त्री,
इंदिरा गांधी,
राजीव गांधी,
वी.पी.सिंह
पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रशेखर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र थे।

भारतीय सभ्यता के प्रारंभ से ही प्रयाग राज शहर ज्ञान, विद्या और लेखन का केंद्र रहा है। यह भारत की सबसे जीवंत राजनीतिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों से जागरूक शहर है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से (UP Ka Sabse Bada Jila)

भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित उत्तर प्रदेश राज्य का जिला लखीमपुर खीरी 7,680 वर्ग किलोमीटर (2,970 वर्ग मील) तक फैला हुआ है यह लखनऊ मंडल का एक हिस्सा भी है। लखीमपुर खीरी क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है। इस की प्रशासनिक राजधानी लखीमपुर शहर है।

उत्तर प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान दुधवा लखीमपुर खीरी जिले में ही स्थित है।

लखीमपुर खीरी का इतिहास

लखीमपुर शहर पहले लक्ष्मीपुर के नाम से जाना जाता था।

लखीमपुर शहर से 2 किलोमीटर (1.2 मील) की दूरी पर एक क़स्बा खीरी है। जिस का नाम एक कब्र से लिया गया है जो साईंद खुर्द के अवशेषों पर बनी थी।

कुछ लोगों की धारणा यह भी है कि खीरी का नाम खैर के पेड़ से लिया गया है, जो इस क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं और एक बड़ा इलाका खेर के पेड़ो से ढका हुआ है।

लखीमपुर खीरी जिले को महाभारत काल से जोड़कर देखा जाता है क्योंकि इस जिले के बहुत से गांवों में उस काल के मूर्तिकला के टुकड़े पाए गए हैं।

मध्ययुगीन युग

लखिमपुर खीरी के उत्तरी भाग को राजपूतों द्वारा 10 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया। मुस्लिम शासन भी इस दूरदराज बसे इलाके में धीरे-धीरे फैल गया। 14 वीं शताब्दी में पड़ोसी देश नेपाल से हमलों और घुसपैठ से बचने के लिए लखिमपुर खीरी के उत्तरी भाग में बहुत से किले बनाए गए।

आधुनिक युग

17 वीं शताब्दी में मुगल शासन काल में अवध के सुबा में खैराबाद की सरकार का भाग बन गया।

सन 1801 में, रोहिलखंड को जब अंग्रेजों के हाथों सौंपा था, तब इस जिले कई हिस्सों को भी इस में सम्मिलित किया गया।
1814 से 1816 तक चले एंग्लो-नेपाली युद्ध के समाप्त होने के बाद इसे अवध में बाहर किया गया।

सन 1856 में औध के कब्जे के दौरान वर्तमान में जो पश्चिम में मोहामड़ी और पूर्व में मल्लानपुर स्थित हैं इन दोनो को 1 जिले में गठित कर दिया गया था।

लखीमपुर खीरी सन 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य केंद्रों में से एक था।

उपसंहार

उत्तर प्रदेश राज्य की आबादी भारत के अन्य राज्यों में सबसे अधिक है और यदि इस पर रोक नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी और भुखमरी बढ़ जाएगी, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश राज्य में होने वाली जुर्म और अपराध की घटनाएं और अधिक बढ़ जाएंगी। यह सभी घटनाएं रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार जनसंख्या को नियंत्रित करने के जनसंख्या नियंत्रण बिल लाने का विचार कर रही है।